tag:blogger.com,1999:blog-5739640358191510764.post8706217491582963067..comments2023-06-19T16:04:33.839+05:30Comments on मातील्दा: क़हक़हे का अर्थ रुदन भी होता हैशायदाhttp://www.blogger.com/profile/17484034104621975035noreply@blogger.comBlogger21125tag:blogger.com,1999:blog-5739640358191510764.post-84980154019215545852009-07-18T14:08:16.824+05:302009-07-18T14:08:16.824+05:30सच कुछ भी तो नहीं बदला....क्या इश्वर भी कुछ नहीं द...सच कुछ भी तो नहीं बदला....क्या इश्वर भी कुछ नहीं देखता. मर्यादा, खामोशी और समाज का ठेका कब तक उठाएगी स्त्रीरवि धवनhttps://www.blogger.com/profile/04969011339464008866noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5739640358191510764.post-39568542154116569682008-09-05T02:39:00.000+05:302008-09-05T02:39:00.000+05:30जीस्त नासूर में रंग-ए-बू-ए-गुल सोता हैदाग दामन के ...जीस्त नासूर में रंग-ए-बू-ए-गुल सोता है<BR/>दाग दामन के गिरेबां वस्ल नजर होता है<BR/>शर्म दामन में फना बंदगी सा रोता है<BR/>वस्ल मासूम कहे मुझसे सदा<BR/>जिन्दगी मेरी .... बंदगी तेरी ..<BR/><BR/>guru kavi hakimGuru kavi Hakimhttps://www.blogger.com/profile/06906260846827809989noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5739640358191510764.post-10417594361109871092008-08-30T01:48:00.000+05:302008-08-30T01:48:00.000+05:30aapka lekhan bahut khhobsoorat haiक़हक़हे का अर्थ ...aapka lekhan bahut khhobsoorat hai<BR/>क़हक़हे का अर्थ रुदन भी होता है to lajawab hai.शाहिद समरhttps://www.blogger.com/profile/08731173901310394809noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5739640358191510764.post-6107952523252879692008-08-15T07:40:00.000+05:302008-08-15T07:40:00.000+05:30शुभकामनाएं पूरे देश और दुनिया कोउनको भी इनको भी आप...शुभकामनाएं पूरे देश और दुनिया को<BR/>उनको भी इनको भी आपको भी दोस्तों<BR/><BR/>स्वतन्त्रता दिवस मुबारक हो<BR/>achhi bhavabhivyaktiयोगेन्द्र मौदगिलhttps://www.blogger.com/profile/14778289379036332242noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5739640358191510764.post-62544047954534565702008-08-12T12:25:00.000+05:302008-08-12T12:25:00.000+05:30बहुत जबरदस्त फैंटेसी। और शब्द भी उतने ही माकूल।बहुत जबरदस्त फैंटेसी। और शब्द भी उतने ही माकूल।adminhttps://www.blogger.com/profile/09054511264112719402noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5739640358191510764.post-57763893186268296942008-08-05T20:05:00.000+05:302008-08-05T20:05:00.000+05:30कहकहों में रुदन की छाया का यह संप्रेषण, विभेद के द...कहकहों में रुदन की छाया का <BR/>यह संप्रेषण, विभेद के दर्द का<BR/>मुक़म्मल बयान तो है लेकिन <BR/>उस रुदन पर कहकहे का जो<BR/>अंतहीन सिलसिला चल रहा है <BR/>उसका संप्रेषण कहाँ और क्यों <BR/>लटक / अटक जाता है ?<BR/>किस हवा में गुम हो जाता है....?<BR/>वह रुदन कहकहे पर ठसक के साथ <BR/>ठहाका क्यों नहीं लगा पता है.......?<BR/>ये सवाल उभर गए मानस पटल पर <BR/>आपको पढ़कर बरबस.....!<BR/>सोचने और जीने के सुबूत की तरह <BR/>होती है आपकी हर प्रस्तुति.<BR/>===============================<BR/>बधाई<BR/>डा.चन्द्रकुमार जैनDr. Chandra Kumar Jainhttps://www.blogger.com/profile/02585134472703241090noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5739640358191510764.post-75142666830837846632008-08-05T18:17:00.000+05:302008-08-05T18:17:00.000+05:30संप्रेषणीयता के नियम की बही में स्त्री के आगे अंग...संप्रेषणीयता के नियम की बही में स्त्री के आगे अंग्रेज़ी में एफ़ लिखा गया था, जिसका फुल फॉर्म फ़ीमेल नहीं, फ़ेल संप्रेषित होना चाहिए।<BR/>कम्यूनिकेशन के बड़े सारे नियम पढ़े हैं पर जिन्दगी के संप्रेषण के नियम सीख रही हूं। आपने इन चंद पंक्तियों में बड़ी गहरी बात लिखी है।नीलिमा सुखीजा अरोड़ाhttps://www.blogger.com/profile/14754898614595529685noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5739640358191510764.post-58273620659401994742008-08-05T17:26:00.000+05:302008-08-05T17:26:00.000+05:30aaj pahali baar aapke blog par aaya , bahut achcha...aaj pahali baar aapke blog par aaya , bahut achcha laga,<BR/> aapki post achchi hai,vipinkizindagihttps://www.blogger.com/profile/06698270014124048966noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5739640358191510764.post-77005180633727639332008-08-03T05:10:00.000+05:302008-08-03T05:10:00.000+05:30शायदा जी,विचार संप्रेषण तथा प्रस्तुती निश्चय ही वि...शायदा जी,<BR/>विचार संप्रेषण तथा प्रस्तुती निश्चय ही विचारोत्तेजक तथा रोचक है।aspundirhttps://www.blogger.com/profile/08361141072184514475noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5739640358191510764.post-4650414016563524582008-08-02T20:31:00.000+05:302008-08-02T20:31:00.000+05:30पाँच दिन बाद ही दूसरी पोस्ट ! अच्छा लगा। सुन्दर !पाँच दिन बाद ही दूसरी पोस्ट ! अच्छा लगा। सुन्दर !सुभाष नीरवhttps://www.blogger.com/profile/06327767362864234960noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5739640358191510764.post-15492811066315826222008-08-01T20:56:00.000+05:302008-08-01T20:56:00.000+05:30शायदा जी बहुत ही रोचक एवं ज्ञानवर्धक धन्यवादशायदा जी बहुत ही रोचक एवं ज्ञानवर्धक धन्यवादमोहन वशिष्ठ https://www.blogger.com/profile/00939783274989234267noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5739640358191510764.post-68165284673770562792008-07-31T19:09:00.000+05:302008-07-31T19:09:00.000+05:30पहली बार आपके चिट्ठे पर आयी हूं,लगा बहुत देर से क्...पहली बार आपके चिट्ठे पर आयी हूं,लगा बहुत देर से क्यूं आयी.आपके लिखने का अंदाज़ जुदा भी है और दिलकश भी.Ila's world, in and outhttps://www.blogger.com/profile/13648932193142137941noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5739640358191510764.post-37672561765292416172008-07-30T23:17:00.000+05:302008-07-30T23:17:00.000+05:30अच्छा लगा आपको पढ़ना..अच्छा लगा आपको पढ़ना..Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5739640358191510764.post-55486271592286747892008-07-30T22:29:00.000+05:302008-07-30T22:29:00.000+05:30क्या खूब लिखा है. आपके शब्दों की बनावट, आपके विचार...क्या खूब लिखा है. आपके शब्दों की बनावट, आपके विचारों की लहरे सचमुच कुछ सोचने के लिए मजबूर कर देती है. नारी की स्थिति आज भी वैसी ही जैसे आदि काल में थी. पर अब समय बदल रहा है. नारी भी हर क्षेत्र में पुरषों के साथ कदमताल कर रही है. कुछ स्थानों में तो इनसे भी आगे. समाज भी बदल रहा है. सोच भी बदल रही है. पत्नी अब दोस्त बन रही. पुरषों के सोच में भी तेज़ी से बदलाव आ रहा है.sunil choudharyhttps://www.blogger.com/profile/07064486614818459881noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5739640358191510764.post-3098206336462212282008-07-30T22:27:00.000+05:302008-07-30T22:27:00.000+05:30क्या खूब लिखा है. आपके शब्दों की बनावट, आपके विचार...क्या खूब लिखा है. आपके शब्दों की बनावट, आपके विचारों की लहरे सचमुच कुछ सोचने के लिए मजबूर कर देती है. नारी की स्थिति आज भी वैसी ही जैसे आदि काल में थी. पर अब समय बदल रहा है. नारी भी हर क्षेत्र में पुरषों के साथ कदमताल कर रही है. कुछ स्थानों में तो इनसे भी आगे. समाज भी बदल रहा है. सोच भी बदल रही है. पत्नी अब दोस्त बन रही. पुरषों के सोच में भी तेज़ी से बदलाव आ रहा है.sunil choudharyhttps://www.blogger.com/profile/07064486614818459881noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5739640358191510764.post-31289629217683439322008-07-30T22:24:00.000+05:302008-07-30T22:24:00.000+05:30क्या खूब लिखा है. आपके शब्दों की बनावट, आपके विचार...क्या खूब लिखा है. आपके शब्दों की बनावट, आपके विचारों की लहरे सचमुच कुछ सोचने के लिए मजबूर कर देती है. नारी की स्थिति आज भी वैसी ही जैसे आदि काल में थी. पर अब समय बदल रहा है. नारी भी हर क्षेत्र में पुरषों के साथ कदमताल कर रही है. कुछ स्थानों में तो इनसे भी आगे. समाज भी बदल रहा है. सोच भी बदल रही है. पत्नी अब दोस्त बन रही. पुरषों के सोच में भी तेज़ी से बदलाव आ रहा है.sunil choudharyhttps://www.blogger.com/profile/07064486614818459881noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5739640358191510764.post-7918493999257176972008-07-30T21:21:00.000+05:302008-07-30T21:21:00.000+05:30शायदा जी aapka shukriya!!शायदा जी <BR/><BR/><BR/><BR/>aapka shukriya!!अंगूठा छापhttps://www.blogger.com/profile/07215432736663219795noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5739640358191510764.post-61019898727430806542008-07-30T17:25:00.000+05:302008-07-30T17:25:00.000+05:30शायदा जी आपको पढा तो खलीला ज़िब्रान याद आ गयें :) अ...शायदा जी आपको पढा तो खलीला ज़िब्रान याद आ गयें :) अब तो आपको पढना पडेगा। पहली बार पढ रही हूँ पर अब रोज आऊँगीगरिमाhttps://www.blogger.com/profile/12713507798975161901noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5739640358191510764.post-76500913064879371292008-07-30T14:23:00.000+05:302008-07-30T14:23:00.000+05:30बहुत खूब.अद्भुत लिखा आपने.काफ़ी रोचक है.बहुत खूब.<BR/>अद्भुत लिखा आपने.<BR/>काफ़ी रोचक है.बालकिशनhttps://www.blogger.com/profile/18245891263227015744noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5739640358191510764.post-39192836124144912242008-07-30T10:54:00.000+05:302008-07-30T10:54:00.000+05:30शुक्रिया इस बात के लिए की कम से कम हफ्ते में एक बा...शुक्रिया इस बात के लिए की कम से कम हफ्ते में एक बार तो आपका लिखा पढने को मिलेगा....हमेशा की तरह संकेतो में आपने बात कह दी ....डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5739640358191510764.post-64730959242375932172008-07-30T07:13:00.000+05:302008-07-30T07:13:00.000+05:30यह वही दर्शन है कि आप जो चाहते हैं वो जिन्दगी नही ...यह वही दर्शन है कि आप जो चाहते हैं वो जिन्दगी नही है.... जिन्दगी वो है जो हो रहा है.... रुदन और फूक ही जिन्दगी का हिस्सा हैं ना कि कहकहे और स्त्री का कहना....Rajesh Roshanhttps://www.blogger.com/profile/14363549887899886585noreply@blogger.com